13 साल बाद भोपाल पहुंचे आचार्यश्री विद्यासागर, दर्शन को उमड़े हजारों भक्त



भोपाल। दिगंबर संत परंपरा के अग्रणी महात्मा और जैन समाज के आचार्यश्री विद्यासागर महाराज सोमवार सुबह भोपाल पहुंचे। आचार्यश्री का चातुर्मास हबीबगंज जैन मंदिर में होगा। आचार्य विद्यासागर महाराज सोमवार को भानपुर से लगभग 15 किलोमीटर पैदल चलकर हबीबगंज जैन मंदिर पहुंचे। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने डीबी माल के सामने आचार्यश्री की अगवानी की।

जैन मंदिर में आचार्यश्री के संघ के ठहरने के लिए 27 आवास, प्रवचन पंडाल, भोजन शाला व पार्किंग स्थल का निर्माण किया गया है। आचार्यश्री 40 जैन मुनियों के साथ यहां पहुंचे हैं। शहर में जगह-जगह पर जैन समाज के हजारों भक्तों ने उनका स्वागत किया। सीएम शिवराज सिंह चौहान सहित वित्त मंत्री जयंत मलैया, स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह, राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता, चिकित्सा शिक्षा मंत्री शरद जैन, संस्कृति मंत्री सुरेंद्र पटवा, मंत्री पारस जैन, महापौर आलोक शर्मा सहित अन्य राजनेता उपस्थित रहे।


तीसरी बार हुआ आगमन
आचार्यश्री का भोपाल में प्रथम आगमन महावीर जयंती के अवसर पर अप्रैल 2002 में हुआ था। तब यहां 17 से 25 अप्रैल तक उनके लाल परेड मैदान समेत कई स्थानों पर प्रवचन हुए थे। इसके बाद उनका आगमन 9 दिसंबर 2003 में हुआ। टीटी नगर दशहरा मैदान में पंचकल्याणक और चौक दिगंबर जैन मंदिर में शिखर कलशारोहण उन्हीं के सान्निध्य में हुआ था। तीसरा आगमन उनका सोमवार 18 जुलाई 2016 को हुआ है।

शोध के लिए छात्र पढ़ते हैं मूक माटी
जैन दर्शन पर कई पुस्तकें लिखने के साथ ही वे कविता लेखन भी करते रहे। उन्होंने माटी को अपने महाकाव्य का विषय बनाया और मूक माटी नाम से एक खंडकाव्य की रचना की। भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित उनकी यह पुस्तक बहुत लोकप्रिय हुई। विचारकों ने इसे एक दार्शनिक संत की आत्मा का संगीत कहा। इससे कई छात्र अपने शोध के लिए बतौर संदर्भ इसे उपयोग में ला रहे हैं। उनकी अन्य रचनाएं नर्मदा का नरम कंकर, डूबो मत लगाओ डुबकी आदि हैं।

आचार्यश्री के बारे में
आचार्यश्री का बाल्यकाल का नाम विद्याधर था। कर्नाटक, बेलगांव के ग्राम सदलगा में 10 अक्टूबर 1946 को जन्मे आचार्यश्री ने कन्नड़ के माध्यम से हाई स्कूल तक शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद वे वैराग्य की दिशा में आगे बढ़े और 30 जून 1968 को मुनि दीक्षा ली। आचार्य का पद उन्हें 22 नवंबर 1972 को मिला।



आचार्यश्री विद्यासागर महाराज का सोमवार को राजधानी में मंगल प्रवेश हुआ। उन्होंने भानपुर से सुबह छह बजे विहार प्रारंभ किया। ‘नमोस्तु-नमोस्तु’ के जयघोष के बीच जगह-जगह उनपर पीले चावल की वर्षा की गई। आचार्यश्री करीब 15 किलोमीटर पदविहार करते हुए पौने दो घंटे में हबीबगंज जैन मंदिर पहुंचे। वे यहीं चातुर्मास करेंगे।